हाथरस समाचार

हाथरस (उत्तर प्रदेश): विज्ञान और चिकित्सा को दरकिनार कर अंधविश्वास पर भरोसा करना एक परिवार को भारी पड़ गया। हाथरस जिले में सांप के काटने से 10 वर्षीय बच्चे कपिल की मौत हो गई, लेकिन परिजन उसे जिंदा करने की आस में तीन दिनों तक शव पर झाड़-फूंक करवाते रहे। जब बच्चे के शरीर में कोई हलचल नहीं हुई, तब जाकर पुलिस को सूचना दी गई।
क्या है पूरा मामला?
हाथरस के हसायन थाना क्षेत्र के इटरनी गांव के निवासी नरेंद्र कुमार के 10 वर्षीय पुत्र कपिल को कुछ दिन पहले सोते समय जहरीले सांप ने काट लिया था। आनन-फानन में परिजन बच्चे को अस्पताल ले गए, जहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
तीन दिन चला तंत्र-मंत्र का ‘तमाशा’
बच्चे की मौत के बाद भी, परिवार ने शव को दफनाने या दाह संस्कार करने के बजाय, उसे जिंदा करने की उम्मीद में तांत्रिकों और झाड़-फूंक करने वालों का सहारा लिया। बताया जा रहा है कि परिजनों ने बच्चे को सांप का जहर उतारने के लिए किसी तांत्रिक के कहने पर यह कदम उठाया। तीन दिनों तक बच्चे के शव पर लगातार झाड़-फूंक होती रही, पेड़ की डाल मारी जाती रही, लेकिन कोई चमत्कार नहीं हुआ।
पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा
तीन दिन बाद जब बच्चे के शरीर में कोई हलचल नहीं हुई और शव की हालत बिगड़ने लगी, तो थक-हारकर परिजनों ने पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस मौके पर पहुँची और शव को कब्जे में लिया। पुलिस ने शव का पंचनामा कर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
अंधविश्वास पर भारी पड़ा विज्ञान
यह हृदय विदारक घटना ग्रामीण क्षेत्रों में व्याप्त गहरे अंधविश्वास को उजागर करती है, जहाँ लोग सांप काटने जैसे आपातकालीन मामलों में भी तत्काल चिकित्सकीय सहायता लेने के बजाय तांत्रिकों और झाड़-फूंक पर निर्भर रहते हैं, जिसका परिणाम जान गंवाने के रूप में सामने आता है। डॉक्टरों का कहना है कि अगर सांप काटने के तुरंत बाद बच्चे को एंटी-वेनम इंजेक्शन दिया जाता, तो शायद उसकी जान बचाई जा सकती थी।
पुलिस कर रही है मामले की जांच।
